गांधी

हिला दिया उसने,प्रवासीय प्रशासन विधी! लूट लिया तर्कों से अपने ब्रिटिश सरकार की गद्दी! वह क्रमचंद-पुतली बाई का था अनोखा सपूत! दो अक्टूबर 1869का दैवीय आनंदकोष अटूट! वह विलक्षण बालक बना हमारा महात्मा गांधी! अहिंसा के साथ चलाई जिस ने हिन्द राष्ट्रवाद की आंधी! पाकर संदेश मांगा जगत ने अपना नागरिक अधिकार ! नेतृत्व में, गांधी के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम चढ़ा पारावार! बन कर दीप अनोखा ,छेड़ा राग आन्दोलन का! सम्पूूर्ण भारत को, उन्नीस सौ सैतालिस में,दिया उपहार स्वतंत्रता का! शमा सिन्हारांची।तिथि: 30-1-24



“प्रेेम भैया को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनायें”




भेेज रही भैया आपको,जन्म दिन की ढेरों शुभ कामनायें!

स्वस्थ-प्रसन्न-सुखीऔर संतुष्ट आप सदा सपरिवार रहें!


आज भी याद हैं वो बचपन के प्यारे साथ बिताए लम्हें,

वो सफर कुुछ बड़ों केसाथ, जीप से किया था हम सबने।


मीठी हवा संग,”हरपुर-लौक”खोजती,
जीप चल रही थी दौड़ कर!

जुटे हुए “ट्रेलर” पर थे हीरो बने,आप दोनों और भैया शशीकर!



व्यस्त थे आप, देने में स्टाईल, देवानंद और शरीर कपूर से लेकर!


पण्डित कृपाल पाड़ें साध रहे हमपर ,अपना कड़क हुक्म थे इधर!


कान्वेंट में पढ़ते बच्चों पर मिली थी जो, करने को अगुआई,

अपना अंग्रेजी भाषा ज्ञान दिखाने की राह सीधी उन्हें दी दिखाई!

“इट ईज भेरी कोल्ड “,फिर लगे बाकी भूले शब्द खोजने,

“पलीज भियर युओर स्विटर्ज “कह बड़े गर्व से लगे हंसने!


उनके इस कोशिश पर हम बहने भी ना रह सके धैर्यपूर्वक चुप,

खि! खि! खि !खि! कर अचानक, जोर से खिलखिला पड़े हम सब!


अचानक अपनी ओर, चार आंंखें गम्भीर मिली, हमें घूरती,

ऐसे में अपनी हंसी दबायें कैसे, सिट्टि-पिट्टी हमारी गुम थी!



हीरो सी हरकत करने में, आप दोनों रहे ,अधिक मग्न और मस्त,

इधर हमें पण्डित जी की अंग्रेज़ी कर रही थी बहुत त्रस्त!


फिर भी वह धूल भरा रास्ता, मस्त-मोहक रहा हैआज तक!

अचानक “भी भिल रिच यूूर भिलेज!” सुन आप भी हंस पड़े!

हम बहनों को मिली छूट! देर तक हंसी-ठहाकों में लोटते रहे!

फिर भी वह धूल भरा रास्ता,मस्त-मोहक बना रहा हैआज तक।


कामना यही,उस प्यारे-अनुभव-बंधन-वृक्ष को,”हरि” हरित रखें युगों तक !


शमा सिन्हा
5-11-23

“प्रेेम भैया को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनायें” भेेज रही भैया आपको,जन्म दिन की ढेरों शुभ कामनायें! स्वस्थ-प्रसन्न-सुखीऔर संतुष्ट आप सदा सपरिवार रहें! आज भी याद हैं वो बचपन के प्यारे साथ बिताए लम्हें, वो सफर कुुछ बड़ों केसाथ, जीप से किया था हम सबने। मीठी हवा संग,”हरपुर-लौक”खोजती,जीप चल रही थी दौड़ कर! जुटे हुए “ट्रेलर” पर थे हीरो बने,आप दोनों और भैया शशीकर! व्यस्त थे आप, देने में स्टाईल, देवानंद और शरीर कपूर से लेकर! पण्डित कृपाल पाड़ें साध रहे हमपर ,अपना कड़क हुक्म थे इधर! कान्वेंट में पढ़ते बच्चों पर मिली थी जो, करने को अगुआई, अपना अंग्रेजी भाषा … Continue reading »

“प्रेेम भैया को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनायें”

भेेज रही भैया आपको,जन्म दिन की ढेरों शुभ कामनायें!

स्वस्थ-प्रसन्न-सुखीऔर संतुष्ट आप सदा सपरिवार रहें!

आज भी याद हैं वो बचपन के प्यारे साथ बिताए लम्हें,

वो सफर कुुछ बड़ों केसाथ, जीप से किया था हम सबने।

मीठी हवा संग,”हरपुर-लौक”खोजती,
जीप चल रही थी दौड़ कर!

जुटे हुए “ट्रेलर” पर थे हीरो बने,आप दोनों और भैया शशीकर!

व्यस्त थे आप, देने में स्टाईल, देवानंद और शरीर कपूर से लेकर!

पण्डित कृपाल पाड़ें साध रहे हमपर ,अपना कड़क हुक्म थे इधर!

कान्वेंट में पढ़ते बच्चों पर मिली थी जो, करने को अगुआई,

अपना अंग्रेजी भाषा ज्ञान दिखाने की राह सीधी उन्हें दी दिखाई!

“इट ईज भेरी कोल्ड “,फिर लगे बाकी भूले शब्द खोजने,

“पलीज भियर युओर स्विटर्ज “कह बड़े गर्व से लगे हंसने!

उनके इस कोशिश पर हम बहने भी ना रह सके धैर्यपूर्वक चुप,

खि! खि! खि !खि! कर अचानक, जोर से खिलखिला पड़े हम सब!

अचानक अपनी ओर, चार आंंखें गम्भीर मिली, हमें घूरती,

ऐसे में अपनी हंसी दबायें कैसे, सिट्टि-पिट्टी हमारी गुम थी!

हीरो सी हरकत करने में, आप दोनों रहे ,अधिक मग्न और मस्त,

इधर हमें पण्डित जी की अंग्रेज़ी कर रही थी बहुत त्रस्त!

फिर भी वह धूल भरा रास्ता, मस्त-मोहक रहा हैआज तक!

अचानक “भी भिल रिच यूूर भिलेज!” सुन आप भी हंस पड़े!

हम बहनों को मिली छूट! देर तक हंसी-ठहाकों में लोटते रहे!

फिर भी वह धूल भरा रास्ता,मस्त-मोहक बना रहा हैआज तक।

कामना यही,उस प्यारे-अनुभव-बंधन-वृक्ष को,”हरि” हरित रखें युगों तक !

शमा सिन्हा
5-11-23

“जरा बचके!”

हुआ समय मिलन सूर्य -संध्या का,तारों को बांंहों में समेट,छा रहा अंधेरा।“जरा बचके रखना कदम मेरे सजना!”दे रहा आवाज, दूूर से मल्लाह नांव का। पता नही है दूर कितना अपना वह किनाराभला यही,मध्यम धारा के संग बहते रहना!“जरा बचके दूर,नदी के भंवर से रहना!पतवार पकड़,दिवास्वप्न में तुम ना खोजाना!” यह सफर है,बस हिसाब लेन-देन का,“जरा बचके करना! है व्यापार कर्म का,यह रिश्ता है बस अधिक-शेष गणना का!बेखबर!फिसले ना यह अनमोल नगीना सस्ता!!!”

“मैं ढूंढ रही अपनी वाली होली!”

“मैं ढूंढ रही अपनी वाली होली!” कहां छुुप गई वो रंंगीली प्यारी होली,आती जो बन अपनी, लेकर संग हुल्लड भरी बाल्टी , लाल- हरी नटखट सजनी? हमें भुलाने , मां हाथों में रखती,दस पैसे वाली पुड़िया कई, अबरक चूर्ण मिलकर जो बन जाता,चमकता रंग पक्का सही! हम शातिर बन इकट्ठा करते, बाजार में आई नई तकनीकी, भैया, दीदी तब काम आते,पोटीन की बनती लेप चिकनी! जिसने हमें गत वर्ष डंटवाया,विशेष उसके लिए रखी जाती! चेहरा साफ करने में, महोदय की हालत बहूूत दयनीय होती! मिल जुल कर सभासदों की,किसी शाम हम कर लेते गिनती, होली के लिए, चयनित होने को … Continue reading »“मैं ढूंढ रही अपनी वाली होली!”

Looking unto YOU

Wherefore o!lord,do you destine me? A moment of brightness then an eclipsed sea! Which way to go,do come once and tell me. Mind chooses one ,heart’s locked with another key. Direction is lost and thoughts waver abyss , Hours pass days run out,still stands this chase. Tasks are there,time’s short,spirit tides awhile How many breaths,do I have to carry, it is so awry. Holding courage,though I try but it’s only a trial! Tell me clearly, gift me once,your secretive smile!

The avalanche

Late or soon life enriches everyone with similar experiences……nothing is permanent. …except deeds there’s no value. ….wealth and power betray man….we are souls……our duty is to travel from one life to another…our lives are based on our karma. …..souls meet and separate as per their debit and credit of karmic accounts…. Things that appeared myths and fads become facts as experiences in life open truths.On second last Sunday of last month, the 24th July my husband Dr Sushant Prasad Sinha left me for ever,for his heavenly abode.An unbelievable fateful event that forces me to accept the providence. Destiny trains us … Continue reading »The avalanche

Acceptance And Love

“” The child at once looked back. To its dismay, his mother had found his hidden haven of soft dirty clay! Without losing a moment, he rose nimbly and ran to embrace her feet. It cried aloud, as if he had lost something very dear and wanted her help. The whole thought ,with which she had tiptoed, changed.She had come to catch the child, red handed. She wanted to punish him.Instead,she picked him up and tried to calm while she continued kissing and wiping his mud smeared face .The whole air bore an emotion, very different to what she had … Continue reading »Acceptance And Love