होली
मोर ने वन में पीया पिया मधुर रट है लगाई प्रेम रंग अपटन चढ़ा मोरनी होली खेलन आई! कर रहे बाग-भौरे गुंजार,हवा में बज रही शहनाई ! खुशबू ने घोला भंग तुलसी में,बेणु ने है सबकोपिलाई ! चकोर से पूछा चांद ने”क्यों तूनेऐसी हालत बनाई ? देख मुझे हो रहे मदहोश,जैैसे रांंझा ने हीर हो पाई!” ……. “मेरा हाल ना पूछो चंदा,दिवानगी ऐसी है छाई! सुुख सराबोर है गोकुल,लल्ला पाकर कुंज बौराई! गोपियों संग माखन-गेंंदो की होली खेल रहे कन्हाई बृृजउत्सव नही तुमने देखा,तभी कर रहे मेरी हंसाई राधा गूंंथ रही बैजन्ति,गोप-गोपियां रंगें रंग कन्हाई ! नंंद बाबा भंडार हैं …