हमारे गांधी

हिला दिया उसने,प्रवासीय प्रशासन विधी! लूट लिया तर्कों से अपने ब्रिटिश सरकार की गद्दी! वह क्रमचंद-पुतली बाई का था अनोखा सपूत! दो अक्टूबर 1869का दैवीय आनंदकोष अटूट! वह विलक्षण बालक बना हमारा महात्मा गांधी! अहिंसा के साथ चलाई जिस ने हिन्द राष्ट्रवाद की आंधी! पाकर संदेश मांगा जगत ने अपना नागरिक अधिकार ! नेतृत्व में, गांधी के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम चढ़ा पारावार! बन कर दीप अनोखा ,छेड़ा राग आन्दोलन का! सम्पूूर्ण भारत को, उन्नीस सौ सैतालिस में,दिया उपहार स्वतंत्रता का! शमा सिन्हारांची।तिथि: 30-1-24

रामायण

“रामायण की महत्ता” रामायण काव्य नही अपितु आदर्श संहिता हैं।समाज के प्रत्येक क्षेत्र के वर्णन के साथ, गुरु, माता ,पिता,स्त्री-पुरुष, भाई,मित्र,सेेवक यहा तक की दुश्मन की महत्ता का नाम रामायण है। नीतीपूर्ण जीवन के संदर्भ में समसामयिक घटनाओं का किस प्रकार आदर्श सामाजिक संयोजन होना चाहिए, इसी का वर्णन बालमीकी मुनी और तुलसीदास ने किया है।कर्तव्य और धैर्य के पथ पर चलकर जैसे श्रीराम ने ना सिर्फ अपने जन्म के उद्देश्य को पूर्ण किया बल्कि सन्तुष्ट जीवन जीने की आधारशिला भी रख दी जो स्वतंत्र भारत के संवैधानिक अधिनियम का भी आधार बना ।हनुमान का पुत्र स्वरूप ;केवट का सेवा … Continue reading »रामायण

“ऐ मन!”

रखना ऐ मन,पास अपने बस कुछ ही यादें! ठहरी हैं जिनमें खुशी की वो कोमल सम्वादें! बाकी सब कर देना विस्मृति के अंक सुपुर्द ! मिटाकर उनकी आकृति,उनका सारा वजूद! बस एक बात गांंठ बांध कर रख लेना तुम ! चुभ गया हो नश्तर अगर, मिटाना उनका वहम! खोल चिलमन,उड़ा देना हवा में सारे रंजो-गम! छोड़ गलियां पुरानी,नये रास्ते पर रखना कदम! समझा देना खुद को,जानता नही अब उनको कोई ! कट चुकी है डालियां,बेजान जड़ें,मिट्टी सूखी सोई! फिर खोज कर नई मुरादें,सींचना प्यारे नये सपने, सुकून की बारिश में फूटेंगी कलियां,आंगन अपने! उड़ जाना आकाश!,बन तितली उनकी खुश्बू में! … Continue reading »“ऐ मन!”

Bihar ke veer Putra

हौसला वीरों का मुरझाता नही शरीर की कमजोरी से थक कर वीर कभी रुुकता नही, दुश्मन कीललकार से सन सन्तावन के योद्धा,बन,वीर कुंवर सिंह हुये खङे ! अस्सी साल की उम्र में,उठा तलवार अंग्रेजों से भिड़े! बन कर मां का रक्षक,उतरा जब कुंवर जगदीशपुुर में हारीअंग्रेजों की फौज ,1857सिपाही विद्रोह रोकने में! गोलियां बरस रही थीं ,नदी में नौका पर थेकुंवर सवार! लगी जब दुुशमन की गोली, बांह से निकला रक्त धार! घायल थे पर हार ना माने, उठाया कुंवर सिंह ने तलवार! ईस्ट इंडिया कम्पनी थर्रायी,घबड़ाई उसकी हारी सेना! देख कुवर की असीम वीरता आया दुश्मन को पसीना! काट … Continue reading »Bihar ke veer Putra

करवाचौथ

स्नेहमय रंजित अनुपम यह है त्योहारभरा जिस में त्याग- समर्पण- प्यार । पंच तत्व विकसित, दो आत्मा हैं समर्पित,जैसे यह धरती और चंद्रमा इकदूजे को अर्पित! कार्तिक माह के चौथे दिवस को चांदनी बिखेरताआता चांद लेकर तारो जड़ी चमकती चुनरी! अंंजली से पुष्प, पत्र, और जल कर अर्पणहो जाती तृप्त नारी पाकर प्रेम सजन! सफल हो जाता उसका पूर्ण दिवसीय व्रत त्योहार ,करवाचौथ दे जाता स्नेहमय अटूट संबंध अपार ! शमा सिन्हारांची 1-11-23

सफर

अच्छा लगता हमें साथ सफर करना, अगर मकसद हो एक ,एक सोच उमंग की परिभाषा भी है सहजता हर छोटी बात पर लगता है ठहाका! बिसरी बात को बार बार दोहराना! सहजता से मन की बात कह डालना!!

Guru Govind Singh

सिक्खों के हुये नायक ,मां भारती के सुपुत्र । रक्षक बने पाकर,नौवें वर्ष में राज पाठ कासूत्र! नौवें गुरू पिता इनके,जिनसे स्थापित हुआ धर्म ! समाज का देकर नेतृत्व दिखाए उनहोने सुकर्म । यौवन के पूर्व ही बन गये रक्षक नव भारत के! मुगलों से लिया टक्कर,दिखाई वीरता सिद्ध कर के! पगड़ी की लाज बचाई,मां के दूध का मोल चुकाया, झुका ना सिर मुगलों के आगे,पाया शौर्य वीर गति का! अपने चारों पुत्रों को भी मातृभूमि पर किया न्योछावर! ऐसा इतिहास भारत का बना,आदर्श हुआ बलिदान ! बीते चाहे सहस्त्र युग,गुरु गोविंद की बनी रहेगी शान!

Bharat Diwas

जाग गया है भारत अब, देख रहा संसार सिर उठाकर! गुंंज रहा इतिहास, ऊंंची तान में उपलब्धी सुुन कर! गण-तंत्र बन गया,लोक-आधार स्वराज्य भारती का! छू रही यहां नारी,आकाश की उचाई सूर्य-चंद्रअंबर का! रखा समृद्धी काआधार मर्यादा पुरुषोत्तम ने तीन रंग ! नारंंगी-श्वेत-हरा बने गुण त्याग पवित्रता सम्रिद्धी के संग! अधिकार और कर्तव्य में प्रत्येक का है संतुलित संयोजन ! गा रहे गीत पर्वत-नदी नयी उम्मीदों से समादृत वचन! कहू कितना है मन मेरा उमंग-आनंद से आज रंग गया! आये घर राम हमारे,युगों का सपना आज पूर्ण हो गया! सबका हित,सबके साथ मूलमंत्र है युग तरक्की का! बजरही देवध्वनी,खड़ीअप्सराएँ लिए … Continue reading »Bharat Diwas