बिडम्बना
विश्व हिंदी सृजन सागरविषय_ चित्र लेखनविधा_ कवितादिनांक_07/01/2024 विडम्बना बांधा था मां यशोदा ने कृष्ण चंद्र लाल कोगोपियों की शिकायत. माखन की लूट को ब्रम्हांड कौ जो बांधे,रस्सी कौन बांधे उसको?विधीका विधान देखो,कुपूत ने बांध मा बाप को! आंख लाचार,पैरों से हुआ मुश्किल चलना!जतन करें कैसे,कठिन है दो वक्त का खाना! उम्मीद रही टूट ,किया शुरू अंधेरे ने घेरना!सब धन लुटाया जिनपर वही करें अवहेलना! लगीआस जिसकी,सीखा नही उसने वादा निभाना! किस्मत को आता बस,लाचारी की हसीं उड़ाना! (स्वरचित मौलिक कविता) शमा सिन्हाता: 07/01/2024