कलियों का निमंत्रण

“कलियों का निमंत्रण” कह रहीं रंग भरी ये उत्साहित कलियाँ, अधखिली जाओ न अब तुम दूर,खिलने को हम व्याकुल अति । आये हैं बरसाने को भर आचंल, नौ रस तेरी बगिया में सारी याद करो वह भी दिन थे,जूझ रही थी,सूखी, नीरस डाली। फूलों का खिलना, सपना लेकर जीता था वह माली। किसलय को ही पाकर,रोमांच भर लेता था अपनी झोली। आज लगी भीड़ अनोखी, देखने कुसुमिल नन्ही परियोंको! पुलक रहीं हैं,किलक रहीं हैं, हैं अति उमंगित खुलने को! ले पेंग उडेगी डाली अब पाकर मदमाती संग पवन को! सजग ये पत्ते ,पूछ रहे,”क्या हुआ है,अचानक इन कलियों को?” क्यों … Continue reading »कलियों का निमंत्रण

गोपी मय संसार

नटवर इस बार जब मधुबन जब आना संग टोली गोपियन की निश्चय लाना और गोपो को एक एक बांसुरी दे दना जग मे चहु ओर उन्हे फैला देना वो माधुर्य तुम्हारा फैला दे, कहना। जग की मिट्टी को रंग दे, कहना तुम्हारा संदेसा गूंजेगा सबअगंना पत्थर भी सीखेगा मिश्री बहाना कण कण तब सीखेगा मुसकाना तुमको पडेगा सबके मन मे रहना बेणु बन जायेगी सबका गहना मधु मुस्कान सिखायेगा सजना। बसेगा गोपियन का संसार अपना।

प्रेम पिपासा

बीत गए दिन है अनेक, पर भूली नही है ,सहेजी वह याद, विस्मृत न हुआ कभी क्षण भर को भी वह सजल विशाद।   नवल सजा था मेरा कोमल मन, अमराई भरा प्रासाद , भर गया था सहसा हृदय मे, उमंगित यौवन का आह्वाद। पहल कर रहे थे पिता पूज्यनीय, मेरा प्रस्तावित विवाह रिश्ता पींगे लेने लगा हृदय प्रेम यू जैसेआयेगा जैसे कोई फरिश्ता । संयोग कुछ यू बना,एक-दूजे को ही हमने था बस देखा अबोध निर्मलता ने बाध लिया अन्जाने से ,जन्म जन्म का रिश्ता । न जानती थी वह अल्हड़, रह जाएगा अधूरा सफर का यह स्कंद कुछ … Continue reading »प्रेम पिपासा

स्मित मिलन

दिन ढल रहा है अब,फैल रहा रगं नारंगी सिमट रहा कोने मेआदित्य ले किरणे सतरंगी। लगा गोरी राधा समा रही थी कृष्ण आगोश नाच रहा थे नीले श्याम ,मनोहर नटवर नागेश। मुख कमलिनी का ,लज्जा ने मलिन किया सुकुमारी का तन गहराया,नभ श्यामल हुआ। पूछा  बजती वेणू ने रुक कर, होअति असहज “पाती हो राधे क्या तुम, दिन रात,नंद को यू भज? सावले के रंग से देख कैसी ,तु बनी कमलनी मुरझाई ढूढती फिर क्यो जादूगर को,मधुवन ,कुंज ,गली अमराई?” रुक गई  इक पल को कुछ ,फिर छिटका मधुर छटा लगी गाने गीत अप्सरा सी,बादलों सेआकाश बटा। वृन्दावन सहसा उतर … Continue reading »स्मित मिलन

शुभ होगा मंगल -मय वर्ष 2021 सबका!”

शुभ-सूर्य ,का आशीर्वचन,होगा शुभ वर्ष 2021सबका! शुभकामना प्रभारित करेगा, चहु ओर शुभता सागर का। शुभ रंग -रूप धारण कर यह सबका सपना पूर्ण करेगा। शुभ- शुभ्र होगा प्रतिबिम्बित, सबकी प्रेरित  भावनाओ का । शुभ- सौभाग्य से शीघ्र ही, विश्व प्रारब्ध सर्वआच्छादित होगा। शुभ स्वस्थ-मधुर स्वर कलरव ध्वनित, सबका घर आगंन होगा शुभदायक शुभाशीष लिए, मंगल मय2021पुनःगुजित होगा। शुभकामना शुभ-भाव प्रसारित करेगा, चहु ओर शुभता सागर का। शुभ रंग -रूप आशा धारण कर,  यह सबका सपना पूर्ण करेगा, शुभ- प्रकाशवर्ष प्रतिबिंब होगा, सबकी अपेक्षित आशाओ का । शुभ- स्वर्ण किरणो से शीघ्र, विश्व प्रारब्ध पुनः शुभनिर्मित होगा। शुभ स्वस्थ-मधुर स्वर ध्वनित, … Continue reading »शुभ होगा मंगल -मय वर्ष 2021 सबका!”

मिलन चिरंतन-2

अभी अभी बस निधीवन मे श्रीराधा को छोड़ पार कर रहे थे द्रुत गति वृन्दावन गलियन मोड ले रहे थे कदम,स्फूर्ति के साथ समय से होड, गय थे समझाने,पर बांध लिए फिर रिश्ते की डोर। तभी दूर से आती कुछ पहचानी टापो ने झकझोरा अनगिनत सुरभि ने बछडो संग, कान्हा को ले घेरा। प्रेम पगी गायो के थन,स्वतःबह रही थी अमृत धारा। पहुंच समक्ष, भरआखो मे नीर,”कृष्ण”नाम  रम्भाया। किन्चित नेह बंधन मे बंधा,अपने को द्वारकानाथ ने पाया प्रेम से थपथपा कर उनको,स्वतः मुरली ने  सुर ऐसा  साधा सुन ,गूंजती वेणु की धुन, सारा वृन्दावन  जागा । सपने से जागी जैसे … Continue reading »मिलन चिरंतन-2

अलग होती है सुबह सबकी

सुर्य, प्रकाश फैल जाता है प्रतिदिन सर्वत्र , रंग देता कालिमा को भी जैसे हो स्वर्ण पत्र , संध्या को सिमटा देता,धरती आन्चल छिपा, चलता सप्त अश्व रथ,विवस्वान आरूढ हुआ। कीट-कलरव गून्ज, सूचित नव दिवस है करता, श्यामल भौरा पंख फैला,चिड़िया के संग उड पडता, बाग बगीचे, आगंन कानन व्यस्त होकर थिरकता, नये दिवस की उपलब्धी , लाने को मानव चल पडता। रवि तो वही रहा है ,किंतु अलग दिन होता सबका है, उमंग भरा जीवन जिसका,श्वास खुशी के वह लेताहै, आकांक्षा अतृप्त हो तो,वह स्वतःनिढाल बन रहता है, डूबती आशा मे लिपटा जैसे तिनका,किनारा खोजता है। वही उजाला दुल्हन … Continue reading »अलग होती है सुबह सबकी

यादो की ओस

ओमनिशु-रत्ना को विवाह की वर्ष गांठ पर ढेरो आशीर्वाद और बधाई। 🍡🥰🍡🥰🍡🥰🍡🥰🍡🥰 “वो दिन, शुभ घडी,हर पल रहता है हम सबको याद , नौशा निशु लला के संग,हम गये थे लेने रत्ना का हाथ । हसी खुशी की झापी लेकर,कुलवधु बन घर वहअपनेआई, उसके स्वागत से सबने,अनंत इन्द्रधनुषी खुशिया पाई। सबका हृदयाशीष यही,तुम दोनो बने रहो कुल सिरमौर , तुम्हारेअखंड प्रेम का उजियारा,फैलाये उदित सूर्य का भोर। मीठा हो हर दिवस ऐहसास, नित मनाओ प्रेम त्योहार, ईश्वरीयअनुकम्पा बनी, रहे,आनंद-सागर हो तुम्हारा परिवार ।” ढेरो आशीर्वाद। समस्त सहियारा परिवार।

Happy Children’s Day

HAPPY CHILDREN’S DAY!!! I and my children were awake till late hours,last evening preparing for the next day event. I was writing my compering dialogues while my children were carrying out my other requirements,as colored paper cutting for decorating the classroom boards,giving color to the black and white hand written message,on a chartpaper ,drying the applied paint, so that it did not smear on hands and clothes…etc. etc.I must mention here that I shall ever remember their help with loving gratitude. It was a big job and I would not have done it without their help,especially my daughter whose patient … Continue reading »Happy Children’s Day