सूर्य की यात्रा

देखोअस्तांचल का अति सुर्ख हुआ ये सूरज ,रंग रक्त-जवा का नभ भर,करता है प्रेम अरज। विशाल-आकाश संध्या का , सिन्दूरी है रंग देता ,सनेह पत्र ,भर कोमल अनुमोदन,प्रीता को भेजता। ओढ सुहानी चांदनी, तारों भरी चान्दी की चूनरबजाती पायल, चल रही वह ठुमक-ठुमक कर। माँ की लोरी, ममता सिंचित,संजोय कोमल मीठा रस,सलोने की आखो में रंगता, सुख-सपना बसंत सरस। बिदा दीपक को करने,लाली प्रातः हैआती जब,उदित-सूर्य पदार्पण करता,सप्त अश्व रथ पर सज।

जय जय मधुरस संत्रीप्ति

”         जय जय मधुरस संतृप्ती “ रसीली मिठाई मुझे बहुत पसंद है। मीठे व्यंजन की चाहत सभी को होती है। किसी किसी को बहुत ज्यादा होती है। उन मीठे व्यंजनों को पसंद करने वालो में मै भी हूँ। शायद मेरे बत्तीसो दाँत और जिव्हा ,इनके अथक प्रेम अनुयायी हैं। खाने के पहले, खाने के बाद और बीच-बीच में भी मुझे मीठा खाने की इच्छा होती है। खासकर अगर रसीली मिठाई तो अमृत सी है। मैंने अमृत पान नहीं किया किन्तु सत् चित् आनंद ईश्वर है तो इसके पारण से भी कुछ वैसी ही अनुभूति मुझे मिलती है। अपनी इन्हीं भावनाओं … Continue reading »जय जय मधुरस संत्रीप्ति

“हक नहीं पूछू”

मुस्कुराते थे जब-तब बचपन में, बिना वजह हम, डांट खाकर भी न होती, वह हँसी जरा भी कम। पूछा नहीं तब, जिन्दगी से, क्या ये रहेगा यूहीं हरदम? लेकर तोहफा खुशी का, बड़े लापरवाह हो गये हम! बाकी अभी भी, ज़हन में है अनगिनत,कई एक भरम, अब जगह न रही कि सवाल करें उससे कोई भी हम। बहा रही कश्ति-किस्मत,उसी रवानगी से जा रहे हैं हम, हवा की दिशा भी तो, कर्मो की गठरी में बान्ध रखे हैं हम। शमा सिन्हा29.10.’20

बरखा बावरी

“बरखा बांवरी” मचल मचल कर वह बांवरी,यूं बरसने आई है ढक गया नीलनभ भी,धुंध श्याम छवि लाई है। खो गईं डालियां, कलियां कोमलांगी झड गई हैं। प्रीत अनोखी,धरा-गगन की,रास रंग की छाई है। कतारों मे चल रहीं,रंगीली जुगनुओं सी गाडिय़ां । सरसराती, कभी सरकती, झुनझुनाती पैजनियां।देखो कैसी रुनकझुनक , मस्ती संग ले आई है । सब पूछ रहे रसरजिंत हो, यह क्यों ऐसेे मदमायी है? नांच रहा कोई, ऐसा कौन रंग बरसाई है छुप रहा कोई-पत्तियों तले ना ये जा पाई है गा रहा कोई- यूूं राग तरिंगिनी बन यह आई है रोको न इसके कदम-ले जाने इसे आई पुरवाई … Continue reading »बरखा बावरी

“World without eyesight “

I am on my journey from Northern part of my land to its southern end ,these days.To fulfill one of my personal responsibilities, I took a break at kolkatta.Lodging in a hotel,my first interest was to get ready and proceed to wards my place of concern. Generally,a few of toiletry requisites are provided by the hotel. As I didn’t get it in the provision basket of the wash room,I fumbled with my fingers in my toilet pouch and felt greatly relieved ,to find a small pouch of the same. To overcome all delay,and save time without waisting further moments,I rushed … Continue reading »“World without eyesight “

Happy Daughter ‘s Day

Happy Daughter ‘s Day अपनी सब बेटी को हम सबका प्रेम भेंट , “सहचरी अभिन्न बन गई, आज वह हमारी है,ममता की छाँव पसारे,वह विशाल घनेरी है ,जन्मा हमने, पर सहसा बन गई माता हमारी है ,कहूँ किन शब्दों में,मन उसका कितना आभारी है।बहुतेरे आकांक्षाओं की वह बनती सदा सहभागी है।ईश का असीम स्नेह बन, बेटी घर सबका भरती है ।” शमा सिन्हा29-9-’20

When eyes grow weak

“When sight grows weak” As I write this experience for you to enjoy my mistake,I humbly accept that eyes are the most important tool of human body together with brain.Had our eyes not been assistingus constantly and perpetually we would not live our life to our contentment! life could be a mess! Living,a vegetative state! I am on my journey from Northern part of my land to its southern end ,these days.To fulfill one of my personal responsibilities, I took a break at kolkatta.Lodging in a hotel,my first interest was to get ready and proceed to wards my place of … Continue reading »When eyes grow weak

पुनीत निव निर्माण

दीप जलाओ,नगर सजाओ,शुभ घड़ी पुनीत है त्योहारउदित सूर्य कर रहा आलोकित अपने राम का दरबार। विशवास को हमारे मिला, अखंड अनोखा वह आधार ,सरयू तीर, विशाल विभूति अपने राम का राज त्योहार । सत्य सनातन वैदिक सपना, हिन्दुत्व हुआ आज साकारएक सूत्र बंध ,करें प्रणाम अपने राम को बारम्बार। साधारण यह मंडप नहीं अपितु आत्म रूप अखंड आकार,भर उमंग चलो मिलने,अपने राम से सरयू के पार। मची धूम ,हो रही अयोध्या में श्रद्धा की अमृत बौछाररक्त जवा,अपराजिता,गुलाब सजाओ अपने राम के द्वार। ला रहे हैं कंधे पर दूर दूर से दर्शनार्थी,कहार,उन्हे दिखा दो,लगा जहाँ अपने निश्चल राम का दरबार। उच्च … Continue reading »पुनीत निव निर्माण