“भैया दूज”
बचपन की कुछ प्यारी यादें,आज आप से करती हूं साझा। जीवन होता था सरल बहुत तब,पारदर्शी थी व्यव्हारिकता ! परिवार हमारा साथ मनाता त्योहार ,एक ही आँगन में जुट, सबको यही चिंता रहती,कोई भाई बहन ना जाए इस खुशी से छूट! भाई दूज पर मिलता पीठा – चटनी,और फुआ बताती बासी खाने की रीती। चना दाल की पूड़ी, खीर, आलू-टमाटर-बैगन-बड़ी की सब्जी! गोबर से उकेर कर चौक,कोने में सजाते पान-मिठाई- बूंट । दीर्घायु होवें सब भैया हमारे,हम बहनें पूजती शुभ “बजरी” कूट! चुभाकर “रेंगनी” का कांटा,सभी जोगतीं काली नजर का जोग टोना। फिर जोड़ती आयु लम्बी,मनाती भौजी का रहे सुहाग …