समस्त देश को जन्माष्टमी की अनेक बधाई और शुभकामनाएं! “मनमोहन बाल रूप कान्हा का” बड़ा ही मनमोहक है, चंचल यह बाल रूप तुम्हारा।चित को यूं ठंडा करता जैसे हो चपल मेघ कजरारा।। इसमें भरी चंचलता ने मोहा है यह संसार सारा।सांवरा तेरा रूप बना रौशनी भरा ध्रुव तारा।। तेरी एक झलक पाने, गोकुल हर पल राह निहारा।“छछिया भर छाछ”से बहला,गोपी देखतीं नृत्य तुम्हारा।। मटकी उनकी फोड़ कर,चहकता चेहरा तुम्हारा।वे मैया से करतीं शिकायत,साथ बुलाती तुम्हें दोबारा।। उदास सारा वृंदावन करके,क्यों चला गया यशोदा लाला?बह रही नदियां बन देखो, उनके व्याकुल हृदय की धारा।। नंद यशोदा का नंदन,ओ श्रीराधा चितचोर प्यारा।आस …
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आज तेरा जगराता ,मां!
मैं आई तेरे द्वारे मां,लेकर अपनी लंंबीअर्जी संंग लाई हू सजे थाल में तेरी रंंग-जवा चुनरी! आज मुझेअपना लेना मां,मन ने आस लगाई ! तेरे ही दर पर सबने मां,मनसा-ज्योत जलाई! हर पल मेरे साथ तू रहती,सुलझाती कठिनाई, अखंंड दीप तुम्हार जलता,रोशनी सबने पाई! महिषासुरमर्दिनी हो तु ,शुंभ ,अशुंभ को तारी! गलतियां सारी माफ करो मां,मैंने गुहार लगाई ! पंच तत्व की काठी मेरी,हो रही बहुुत कमजोर तेरी दया के बगैर मैया,होगी नही मेरी भोर!
शिव
निर्विकार चिरंतन सत्य हो तुम ही! निराकार रुप का आकार तुम ही! जन्म मृत्यु परे शक्ति पुंज विराम हो! तुम्ही चेतना,अवकाश तुम ही हो! आरम्भ विहीन तुम अनन्त धाम हो! सती कैलाश रमें, कैसे सम्बन्ध विहीन हो? ओंकार स्वरूप, हो आधार सनातन ! सृष्टिकाल से भी तुम हो पुरातन ! दयावान तुम बने, जीव हृदय विराजते अनुभूत जगत तुम क्यों नही सवांंरते? ना सुख दुख,ना पंचभूत ही व्याप्ते! ओंकार बन नेपथ्य में हो सदा गूंजते! तुम ही सिद्ध चेतना की हो पुकार! ऋषी मुनिगण के बने वैराग्य साकार! ना तुम जड़ हो ना तुम हो चेतन! अनन्त सनातन तुम!हो विचार मंथन ! …
रामायण काव्य महत्व
“रामायण की महत्ता” रामायण काव्य नही अपितु आदर्श संहिता हैं।समाज के प्रत्येक क्षेत्र के वर्णन के साथ, गुरु, माता ,पिता,स्त्री-पुरुष, भाई,मित्र,सेेवक यहा तक की दुश्मन की महत्ता का नाम रामायण है। नीतीपूर्ण जीवन के संदर्भ में समसामयिक घटनाओं का किस प्रकार आदर्श सामाजिक संयोजन होना चाहिए, इसी का वर्णन बालमीकी मुनी और तुलसीदास ने किया है।कर्तव्य और धैर्य के पथ पर चलकर जैसे श्रीराम ने ना सिर्फ अपने जन्म के उद्देश्य को पूर्ण किया बल्कि सन्तुष्ट जीवन जीने की आधारशिला भी रख दी जो स्वतंत्र भारत के संवैधानिक अधिनियम का भी आधार बना ।हनुमान का पुत्र स्वरूप ;केवट का सेवा …
Guru Govind Singh
सिक्खों के हुये नायक ,मां भारती के सुपुत्र । रक्षक बने पाकर,नौवें वर्ष में राज पाठ कासूत्र! नौवें गुरू पिता इनके,जिनसे स्थापित हुआ धर्म ! समाज का देकर नेतृत्व दिखाए उनहोने सुकर्म । यौवन के पूर्व ही बन गये रक्षक नव भारत के! मुगलों से लिया टक्कर,दिखाई वीरता सिद्ध कर के! पगड़ी की लाज बचाई,मां के दूध का मोल चुकाया, झुका ना सिर मुगलों के आगे,पाया शौर्य वीर गति का! अपने चारों पुत्रों को भी मातृभूमि पर किया न्योछावर! ऐसा इतिहास भारत का बना,आदर्श हुआ बलिदान ! बीते चाहे सहस्त्र युग,गुरु गोविंद की बनी रहेगी शान!
शबरी के राम
आयेंगे राम एक दिन
राम आये घर
राम के आगमन को देख रहा सारा संसार! पाकर झलक लला की होंगे सब भवसागर पार! उठा नही खंजर कोई गूंजी नही कोई शंख नाद। भक्ति , विश्वास और धैर्य ने बिछा दिया विजय फूल ! सरयु तट ने किया परिभाषित, राम लला निज धाम! न्याय ने सहर्ष स्वीकारा”स्कनद-पुराण” कौशल प्रमाण! ब्रम्हा-विष्णु-रुद्रत्रीदेव को अर्पित देव-नगर”ग्रहमंजरी!” इक्ष्वाकु,सगर,भगिरथ,दिलीप,हरिश्चंद्र कीअयोध्यानगरी! मन रही राम वापसी की दिवाली,जले दीप सहस्त्र हजार विराजेंगें आज रघुवर साकेेत, मन रहा घर घर त्योहार! जलती रहेगी बाती इतनी,अखंड दीप का है आकार। उठा कर शीश गर्व से कहो,अयोध्या नरेश राम सरकार! आ रहे आगन्तुक अनेक दर्शन पाने को राम …
आओ चलें अयोध्या
मंच को नमन! मानसरोवर साहित्य अकादमी “आओ चलें अयोध्या नगरी” आओ चलें अयोध्या,चले सिया राम की नगरी!मन रहा रघुुवर त्योहार,”अगर” सुवासित सगरी!आओ चले अयोध्या…..हवन-कुंड सहस्त्र बने,होम करें विशवामित्र-बशिष्ट !प्रसाद सभी पायेगें हवन का “राम हलवा”अवशिष्ट !आओ चलें अयोध्या……दशक पचास ,मिला था इक्ष्वाकु-वंशको अन्याय !वीर भक्तों नें दी जान,पश्चात मिला न्यायालय न्याय!आओ चलें अयोध्या…..हाथ जोड़ हनुमान खड़े,कर रहे शुभ घड़ी अगुआई !पाकर चावल का निमन्त्रण, घर घर गूंज रही बधाई!आओ चलें अयोध्या……आनंदित है दशरथ-कौशल्या-सुमित्रा-केकैई मन!सिता-रघुुवर दरबार सजा रहे लक्षमन-भरत-शत्रुघ्न!आओ चलें अयोध्या…..