“चुनाव “
मौसम पूर्वानुमान भी छूट रहा है बहुत पीछे, नेता के भाषण प्रतिस्पर्धी फरीश्त बिछा रहे । रिझाने को वादा,आसमान ज़मीं पर लाने का करते, असम्भव को बातों ही बातों में पूरा कर जाते ! क्यों भूलते हैं षडयंत्रकारी!आया है अब युग राम का! असत्य हटा कर अब सर्वत्र “आयुध “हीआसीन होगा! आत्म-जागरण करेगी सरयू- मंदाकिनी- गंगा धारा! योगी-सुमति सिद्ध करेंगे महत्व चित्रकूट तीर्थ का! चंचल बहुत आज विशाल सरल सगर-जनमानस, अचंभित मानव ढूंढ़ रहा अपने राम का दिशानिर्देश ! व्याकुल भारती खोज रहे तट सनातन धर्म स्वदेश ! हे विश्व-रचयिता त्राण दो!सुलझाओ यह पशोपेश! यह चुनाव बहुत कठिन,भरत-संतान की परीक्षा …