भगवान विष्णू
दिया यह अस्तित्व मुझे तुमने स्वीकारा तुम्हे पिता है हमने! दौड़ रहा जो लहू है जग में, कण कण है अनुग्रहीत तुमसे! चकित हूं देख तुम्हारी महारथी! स्वतः कैसे सारी क्रियायें हैं होतीं! आंख चहूं ओर सहज है देखतीं पलक झपकते तंत्र सूचना देती! पानी पीना है या भूख है लगी! अंग करते पूर्ण इच्छायें सारी नियंत्रण करती शक्ति तुम्हारी! कैसे मन, विचार-विमर्श है करता? किस यंत्र के सहारे कार्य होता? इस यंत्र को कौन बैट्री है चलाती? उसकी उर्जा किस स्त्रोत से हैआती? किनअवयवों से विद्युत उत्पत्ति होती! अन्न और जल कैसे सबकी पूर्ती हैं करती? नलियां कैसे भोजन …