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LIVING BEYOND COVID-19

Days are soberly calm, nights blissfully peaceful. Guardians, siblings encompassed blessedly loveful. BHARAT breathes safety, in fighting COVID-19 wilful. Embarked on “Noah’s Arc”, citizens equally soulful!…………. Avengeful nature spreads pandemic, life’s in danger! Committed Indians, united stand, birds of a feather. Constancy of courage fights, death’s teeth tethers . Social distancing curbs spread, is the day’s order.…………. Slow commercial movements, festive stars in heaven shine. Family now together, kids giggle and around entwine. Food is warm and tastier, garnished with love prime. Instilled are walls with affection, Yours and Mine!………….. “Stay home be safe!”, so say country’s wiseacres. Schools though … Continue reading »LIVING BEYOND COVID-19

“अपनी वाली होली”

“मैं ढूंढ रही अपनी वाली होली!” कहां छुुप गई वो रंंगीली प्यारी होली,आती जो बन अपनी, लेकर संग हुल्लड भरी बाल्टी , लाल- हरी नटखट सजनी? हमें भुलाने , मां हाथों में रखती,दस पैसे वाली पुड़िया कई, अबरक चूर्ण मिलकर जो बन जाता,चमकता रंग पक्का सही! हम शातिर बन इकट्ठा करते, बाजार में आई नई तकनीकी, भैया, दीदी तब काम आते,पोटीन की बनती लेप चिकनी! जिसने हमें गत वर्ष डंटवाया,विशेष उसके लिए रखी जाती! चेहरा साफ करने में, महोदय की हालत बहूूत दयनीय होती! मिल जुल कर सभासदों की,किसी शाम हम कर लेते गिनती, होली के लिए, चयनित होने को … Continue reading »“अपनी वाली होली”

वर्षा ऋतु

भगाने को जेठ की चिलचिलाती धूप वर्षा ऋतु लाती श्रावण -भाद्रपद बंदूक प्यासी धरती की सुनकर ऊंचीपुकार आकाश चट पहन लेता इंद्रधनुषी हार! आती हवा सागर की लहरे अथाह बटोर, पिघलती पर्वत पर बर्फ की शिलायें कठोर ! उफनती नदियां,भरते पोखर तालाब , बच्चे खेलते कूद कूद पानी में छपाक! बादल संग जोआतीं बारिश की बूंदी थिरकती मिट्टी लेकर खुशबू सोंधी सोंधी हाथों में लिये रस का मिश्री भरा कटोरा धरती को बन जाती हरे रंग का सकोरा मोर कुहुकते बना वृक्षो पर अपना बसेरा पीकर वर्षा जल लीची आम मीठे हो जाते! फलों के बाग नित नई मिठाई खिलाते! … Continue reading »वर्षा ऋतु

“धनतेरस “

आओ देव धन्वन्तरि को करें संतुष्ट स्वस्थ रहे तन,विवेक हमारा हो पुष्ट ! सरस्वती का सहर्ष करें आवाह्न, स्वतः विराजेंंगी तब लक्ष्मी कमलासन! घर घर नित पायेगा कृपा नारायण, पधारेंगें द्वार सिया-रघुुवर -लक्षमण! अयोध्या बसेगी हमारे शुुभ आंगन , समृद्धी से होगा,आलोकित हर प्रांगण ! धनतेरस की अनेक शुभ कामना! शमा सिन्हारांची10-11-23

माता लक्ष्मी

“माता लक्ष्मी” जहां सरस्वति बनती अग्रणी, स्थाई बसती वहीं सदा लक्ष्मी! ज्ञानदीप को प्रज्ज्वलित कर, पनपाति विष्णुप्रिय दामिनी! कारण छिपा ,एक अति गहरा, श्रम में है चिर ज्ञान पनपता ! खेत खलिहान स्वर्णउपजता, अनुकूल बीज जबश्रमिक है बोता! बिन विद्या, कला नही निखरती, ज्ञान बिना व्यर्थ जाती हरशक्ति! विद्या विरााट देती स्थिर समृद्धी, लक्ष्मी जिसके चौखट पर है बसती! जिसने समझ लिया यह स्मरणीय सूत्र, सम्मानप्रदित वह बनता लक्ष्मी -पुत्र! शमा सिन्हारांची9-11-23

MIRAGE

What a surprise I’m risen with uncontrolled urge A move never wanted yet desires surge Fast mind wants to surpass promises made, Brushing aside ideals of self reliance await, To tread fast into a matted expectation web Blooms and trees all intently pull me back Each bud peeps with many questions in sack I want to have everything that exists around It’s not possible yet my weak heart pounds Alike tides set deep into momentary ebb! Cause is not known except unsolicited madness Rushing from one point to numerous in sadness O solace calm, peace of heart come to rest … Continue reading »MIRAGE

“भैया दूज”

बचपन की कुछ प्यारी यादें,आज आप सेकरती हूं साझा। जीवन होता था सरल बहुत तब,पारदर्शी थी व्यव्हारिकता ! परिवार हमारा साथ मनाता त्योहार मनाता,एक ही आँगन में जुट, सबको यही चिंता रहती,कोई भाई बहन ना जाए खुशी में छूट! भाई दूज पर बनता पीठा-चटनी,फुआ बताती बासी खाने की रीती चना दाल की पूड़ी, खीर, आलू-टमाटर-बैगन-बड़ी की सब्जी! गोबर से उकेर कर चौक,कोने में सजाते पान-मिठाई- बूंट । दीर्घायु होवें सब भैया हमारे,हम बहने पूजती शुभ “बजरी” कूट! चुभाकर “रेंगनी” का कांटा,सभी जोगतीं काली नजर जोग टोना। फिर जाड़ती आयु लम्बी,मनाती भौजी का रहे सुहाग अखंंड बना! यम-यामिनी,नाग-नागिन ,सिंधोरा बना चढ़ाती … Continue reading »“भैया दूज”



“प्रेेम भैया को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनायें”




भेेज रही भैया आपको,जन्म दिन की ढेरों शुभ कामनायें!

स्वस्थ-प्रसन्न-सुखीऔर संतुष्ट आप सदा सपरिवार रहें!


आज भी याद हैं वो बचपन के प्यारे साथ बिताए लम्हें,

वो सफर कुुछ बड़ों केसाथ, जीप से किया था हम सबने।


मीठी हवा संग,”हरपुर-लौक”खोजती,
जीप चल रही थी दौड़ कर!

जुटे हुए “ट्रेलर” पर थे हीरो बने,आप दोनों और भैया शशीकर!



व्यस्त थे आप, देने में स्टाईल, देवानंद और शरीर कपूर से लेकर!


पण्डित कृपाल पाड़ें साध रहे हमपर ,अपना कड़क हुक्म थे इधर!


कान्वेंट में पढ़ते बच्चों पर मिली थी जो, करने को अगुआई,

अपना अंग्रेजी भाषा ज्ञान दिखाने की राह सीधी उन्हें दी दिखाई!

“इट ईज भेरी कोल्ड “,फिर लगे बाकी भूले शब्द खोजने,

“पलीज भियर युओर स्विटर्ज “कह बड़े गर्व से लगे हंसने!


उनके इस कोशिश पर हम बहने भी ना रह सके धैर्यपूर्वक चुप,

खि! खि! खि !खि! कर अचानक, जोर से खिलखिला पड़े हम सब!


अचानक अपनी ओर, चार आंंखें गम्भीर मिली, हमें घूरती,

ऐसे में अपनी हंसी दबायें कैसे, सिट्टि-पिट्टी हमारी गुम थी!



हीरो सी हरकत करने में, आप दोनों रहे ,अधिक मग्न और मस्त,

इधर हमें पण्डित जी की अंग्रेज़ी कर रही थी बहुत त्रस्त!


फिर भी वह धूल भरा रास्ता, मस्त-मोहक रहा हैआज तक!

अचानक “भी भिल रिच यूूर भिलेज!” सुन आप भी हंस पड़े!

हम बहनों को मिली छूट! देर तक हंसी-ठहाकों में लोटते रहे!

फिर भी वह धूल भरा रास्ता,मस्त-मोहक बना रहा हैआज तक।


कामना यही,उस प्यारे-अनुभव-बंधन-वृक्ष को,”हरि” हरित रखें युगों तक !


शमा सिन्हा
5-11-23

“प्रेेम भैया को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनायें” भेेज रही भैया आपको,जन्म दिन की ढेरों शुभ कामनायें! स्वस्थ-प्रसन्न-सुखीऔर संतुष्ट आप सदा सपरिवार रहें! आज भी याद हैं वो बचपन के प्यारे साथ बिताए लम्हें, वो सफर कुुछ बड़ों केसाथ, जीप से किया था हम सबने। मीठी हवा संग,”हरपुर-लौक”खोजती,जीप चल रही थी दौड़ कर! जुटे हुए “ट्रेलर” पर थे हीरो बने,आप दोनों और भैया शशीकर! व्यस्त थे आप, देने में स्टाईल, देवानंद और शरीर कपूर से लेकर! पण्डित कृपाल पाड़ें साध रहे हमपर ,अपना कड़क हुक्म थे इधर! कान्वेंट में पढ़ते बच्चों पर मिली थी जो, करने को अगुआई, अपना अंग्रेजी भाषा … Continue reading »

“प्रेेम भैया को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनायें”

भेेज रही भैया आपको,जन्म दिन की ढेरों शुभ कामनायें!

स्वस्थ-प्रसन्न-सुखीऔर संतुष्ट आप सदा सपरिवार रहें!

आज भी याद हैं वो बचपन के प्यारे साथ बिताए लम्हें,

वो सफर कुुछ बड़ों केसाथ, जीप से किया था हम सबने।

मीठी हवा संग,”हरपुर-लौक”खोजती,
जीप चल रही थी दौड़ कर!

जुटे हुए “ट्रेलर” पर थे हीरो बने,आप दोनों और भैया शशीकर!

व्यस्त थे आप, देने में स्टाईल, देवानंद और शरीर कपूर से लेकर!

पण्डित कृपाल पाड़ें साध रहे हमपर ,अपना कड़क हुक्म थे इधर!

कान्वेंट में पढ़ते बच्चों पर मिली थी जो, करने को अगुआई,

अपना अंग्रेजी भाषा ज्ञान दिखाने की राह सीधी उन्हें दी दिखाई!

“इट ईज भेरी कोल्ड “,फिर लगे बाकी भूले शब्द खोजने,

“पलीज भियर युओर स्विटर्ज “कह बड़े गर्व से लगे हंसने!

उनके इस कोशिश पर हम बहने भी ना रह सके धैर्यपूर्वक चुप,

खि! खि! खि !खि! कर अचानक, जोर से खिलखिला पड़े हम सब!

अचानक अपनी ओर, चार आंंखें गम्भीर मिली, हमें घूरती,

ऐसे में अपनी हंसी दबायें कैसे, सिट्टि-पिट्टी हमारी गुम थी!

हीरो सी हरकत करने में, आप दोनों रहे ,अधिक मग्न और मस्त,

इधर हमें पण्डित जी की अंग्रेज़ी कर रही थी बहुत त्रस्त!

फिर भी वह धूल भरा रास्ता, मस्त-मोहक रहा हैआज तक!

अचानक “भी भिल रिच यूूर भिलेज!” सुन आप भी हंस पड़े!

हम बहनों को मिली छूट! देर तक हंसी-ठहाकों में लोटते रहे!

फिर भी वह धूल भरा रास्ता,मस्त-मोहक बना रहा हैआज तक।

कामना यही,उस प्यारे-अनुभव-बंधन-वृक्ष को,”हरि” हरित रखें युगों तक !

शमा सिन्हा
5-11-23

करवाचौथ

स्नेहमय रंजित अनुपम यह है त्योहारभरा जिस में त्याग- समर्पण- प्यार । पंच तत्व विकसित, दो आत्मा हैं समर्पित,जैसे यह धरती और चंद्रमा इकदूजे को अर्पित! कार्तिक माह के चौथे दिवस को चांदनी बिखेरताआता चांद लेकर तारो जड़ी चमकती चुनरी! अंंजली से पुष्प, पत्र, और जल कर अर्पणहो जाती तृप्त नारी पाकर प्रेम सजन! सफल हो जाता उसका पूर्ण दिवसीय व्रत त्योहार ,करवाचौथ दे जाता स्नेहमय अटूट संबंध अपार ! शमा सिन्हारांची 1-11-23

“अकेलापन “

“अकेलापन “ खुद को अन्तर्मन से जो मिलवाये,अनुभवों को सुलझा कर समझाये,लेेकर भूली बिसरी याद जो आ जाए,मिठास भरा अपनापन दे जाये,कितना प्यार भरा इसमें,कैसे समझाएं?वक्त के घावों को धीरे से सहज सहलाये!अपनों की कद्र, परायों का मान बढ़ाये!जंग जीतने के कई रहस्य हमें समझाए !हार को हटा,जिन्दादिली भर जाये!स्वाभिमान भरा अनेक नई राह दिखाए!भरकर प्यार, असीम ” अकेलापन” मेरा अपना हो जाये! शमा सिन्हारांची। (स्वरचित कविता)31-10-23